तुम्हारे इश्क़ ने करदी मेरी ये आजकल हालत ।
मुझे मच्छर भी कुश्ती लड़ने की देने लगे दावत ॥
कभी चिमटा कभी चमचा कभी बेलन पटकती है ।
खड़ा करना तमाशा रोज़ बीबी की हुई आदत ॥
ख़रीदा है कहीं से एक कुत्ता जब से बीबी ने ।
हमारा चैन उस कमबख़्त ने सब कर दिया ग़ारत ॥
बढ़ा है वज़्न बीबी का तो सैंडल भी हुई ऊँची ।
किसी दिन गिर पडी तो होगी क्या गुल्फ़ाम की हालत ॥
कभी किट्टी कभी कल्बों में बीबी रोज़ जाती है ।
डबल रोटी ने मेरे पेट में कर दी खड़ी आफ़त ॥
नमक कम है ज़ियादा है तो बीबी से नहीं कहना ।
अगर ग़लती से कुछ भी कह दिया तो आ गयी शामत ॥
लगे सब से ज़ियादा आज फ़ाक़ामस्त जो 'सैनी'।
कभी सोचा नहीं उसने किसी से ब्याह की बाबत ॥
डा० सुरेन्द सैनी
मुझे मच्छर भी कुश्ती लड़ने की देने लगे दावत ॥
कभी चिमटा कभी चमचा कभी बेलन पटकती है ।
खड़ा करना तमाशा रोज़ बीबी की हुई आदत ॥
ख़रीदा है कहीं से एक कुत्ता जब से बीबी ने ।
हमारा चैन उस कमबख़्त ने सब कर दिया ग़ारत ॥
बढ़ा है वज़्न बीबी का तो सैंडल भी हुई ऊँची ।
किसी दिन गिर पडी तो होगी क्या गुल्फ़ाम की हालत ॥
कभी किट्टी कभी कल्बों में बीबी रोज़ जाती है ।
डबल रोटी ने मेरे पेट में कर दी खड़ी आफ़त ॥
नमक कम है ज़ियादा है तो बीबी से नहीं कहना ।
अगर ग़लती से कुछ भी कह दिया तो आ गयी शामत ॥
लगे सब से ज़ियादा आज फ़ाक़ामस्त जो 'सैनी'।
कभी सोचा नहीं उसने किसी से ब्याह की बाबत ॥
डा० सुरेन्द सैनी