Thursday, 29 November 2012

क्या करेगी अब

कही जब रात भर ग़ज़लें पढ़ाई क्या करेगी अब ।
सिफ़र आया है पर्चों में लिखाई क्या करेगी अब ।।

गयी  है  मायके  बीबी  डसे  नागिन  सी  तन्हाई ।
कडाके  की  है  सर्दी  तो रज़ाई  क्या करेगी अब ।।

लगी  हो  जिनको  पेचिश  पानी जैसा दूध पीने से ।
यूँ जबरन हज़्म होकर ये मलाई  क्या करेगी अब ।।

शफ़ाख़ाने  में  मुद्दत  से पड़े पर हाल ज्यों का त्यों ।
मुहब्बत  की  बीमारी  में  दवाई  क्या करेगी अब ।।

पचा  कर  शान  से  बैठा  है देखो ज़िं दा दिल बकरा ।
छुरी क़ातिल  कसाई  की  कमाई  क्या करेगी अब ।।

न आई  अब तलक भी नींद ग़ज़लें सुन चुका अस्सी ।
 सुना  भी  दो  तो  इकलौती रुबाई  क्या करेगी अब ।।


कहा   महबूब  को  तुमने  ख़ुदा  तो  क्या  करे  कोई ।
उसी  से  मांग  लो सब कुछ ख़ुदाई क्या करेगी अब ।।

बढ़ा  ली  है  शुगर  इतनी कि तन पर चीटियाँ  दौडे ।
कढाई   चाटिये  खाके   मिठाई    क्या  करेगी अब ।।

हमेशा  गालियाँ  ही   देते  आये  हम   तो 'सैनी ' को ।
लगा  कर  तोहमतें  दे  भी  बधाई  क्या करेगी अब ।।

ड़ा सुरेन्द्र सैनी