कही जब रात भर ग़ज़लें पढ़ाई क्या करेगी अब ।
सिफ़र आया है पर्चों में लिखाई क्या करेगी अब ।।
गयी है मायके बीबी डसे नागिन सी तन्हाई ।
कडाके की है सर्दी तो रज़ाई क्या करेगी अब ।।
लगी हो जिनको पेचिश पानी जैसा दूध पीने से ।
यूँ जबरन हज़्म होकर ये मलाई क्या करेगी अब ।।
शफ़ाख़ाने में मुद्दत से पड़े पर हाल ज्यों का त्यों ।
मुहब्बत की बीमारी में दवाई क्या करेगी अब ।।
पचा कर शान से बैठा है देखो ज़िं दा दिल बकरा ।
छुरी क़ातिल कसाई की कमाई क्या करेगी अब ।।
न आई अब तलक भी नींद ग़ज़लें सुन चुका अस्सी ।
सुना भी दो तो इकलौती रुबाई क्या करेगी अब ।।
कहा महबूब को तुमने ख़ुदा तो क्या करे कोई ।
उसी से मांग लो सब कुछ ख़ुदाई क्या करेगी अब ।।
बढ़ा ली है शुगर इतनी कि तन पर चीटियाँ दौडे ।
कढाई चाटिये खाके मिठाई क्या करेगी अब ।।
हमेशा गालियाँ ही देते आये हम तो 'सैनी ' को ।
लगा कर तोहमतें दे भी बधाई क्या करेगी अब ।।
ड़ा सुरेन्द्र सैनी
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