Sunday, 23 December 2012

उल्लू बनाएगा


फ़लक   से    चाँद    लाएगा    सितारे   तोड़   लाएगा ।
हसीनो   को ये आशिक़  कब तलक उल्लू  बनाएगा ।।

पड़े    खाने    के    लाले    तन    पे  कपडे भी उधारे हैं ।
रहेगा    ख़ुद     ये    भूखा   और   बीवी  को रुलाएगा ।।

भजन   या   इश्क़   भूखे पेट बिल्कुल  हो नहीं सकता ।
समझ मज्नूं  की औलादों को आखिर कब ये आयेगा ।।

पता   अपने   तो घर का ख़ुद जो अक्सर भूल जाता है ।
सुना    दिलबर   को    लेकर  चाँद के वो पार जाएगा ।।

अगर   ज़ुल्फ़ें     हसीनो   की  घटा  घनघोर लगती हैं ।
बरस   जायेंगी    तो    सचमुच   बड़ा सैलाब आयेगा ।।

अरे    माँ    सब्र   करले अब दवा के बिन गुज़ारा कर ।
तुम्हारा    लाडला      माशूक़ को पिक्चर  दिखाएगा ।।

हिदायत     दी   है  अपने   बेटे   को  मैंने   तजर्बे   से ।
उसी दिन इश्क़  फ़रमाना तू जिस दिन से कमाएगा ।।

मेरी   हालत   पे   अक्सर   तंज़  करती  हैं  हसीनाएं ।
ये    नंगा    क्या   निचौड़ेगा  ये  नंगा क्या नहायेगा ।।

लुटा   दी   सारी   हस्ती   इश्क़ में अब हाथ ख़ाली  है।
बता   'सैनी '  तू    बाक़ी   ज़िन्दगी  कैसे बिताएगा ।।

डाo सुरेन्द्र सैनी