फ़लक से चाँद लाएगा सितारे तोड़ लाएगा ।
हसीनो को ये आशिक़ कब तलक उल्लू बनाएगा ।।
पड़े खाने के लाले तन पे कपडे भी उधारे हैं ।
रहेगा ख़ुद ये भूखा और बीवी को रुलाएगा ।।
भजन या इश्क़ भूखे पेट बिल्कुल हो नहीं सकता ।
समझ मज्नूं की औलादों को आखिर कब ये आयेगा ।।
पता अपने तो घर का ख़ुद जो अक्सर भूल जाता है ।
सुना दिलबर को लेकर चाँद के वो पार जाएगा ।।
अगर ज़ुल्फ़ें हसीनो की घटा घनघोर लगती हैं ।
बरस जायेंगी तो सचमुच बड़ा सैलाब आयेगा ।।
अरे माँ सब्र करले अब दवा के बिन गुज़ारा कर ।
तुम्हारा लाडला माशूक़ को पिक्चर दिखाएगा ।।
हिदायत दी है अपने बेटे को मैंने तजर्बे से ।
उसी दिन इश्क़ फ़रमाना तू जिस दिन से कमाएगा ।।
मेरी हालत पे अक्सर तंज़ करती हैं हसीनाएं ।
ये नंगा क्या निचौड़ेगा ये नंगा क्या नहायेगा ।।
लुटा दी सारी हस्ती इश्क़ में अब हाथ ख़ाली है।
बता 'सैनी ' तू बाक़ी ज़िन्दगी कैसे बिताएगा ।।
डाo सुरेन्द्र सैनी
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