उसके पैग़ाम ला रहा कोई ।
मुझको उल्लू बना रहा कोई ॥
मांगने क़र्ज़ आ रहा कोई ।
नींद मेरी उड़ा रहा कोई ॥
हुस्न के ए टी एम से कैसे ।
प्यार मेरा चुरा रहा कोई ॥
बेसुरा एसी बारिशों में भी ।
मेघ मल्हार गा रहा कोई ॥
मुझको तीमार के बहाने से ।
रोज़ चूना लगा रहा कोई ॥
मेरे जाने के बाद भी शायद ।
उसके घर रोज़ जा रहा कोई ॥
बोल 'सैनी'तू कब को सुधरेगा ।
तुझको बुद्धु बता रहा कोई ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
मुझको उल्लू बना रहा कोई ॥
मांगने क़र्ज़ आ रहा कोई ।
नींद मेरी उड़ा रहा कोई ॥
हुस्न के ए टी एम से कैसे ।
प्यार मेरा चुरा रहा कोई ॥
बेसुरा एसी बारिशों में भी ।
मेघ मल्हार गा रहा कोई ॥
मुझको तीमार के बहाने से ।
रोज़ चूना लगा रहा कोई ॥
मेरे जाने के बाद भी शायद ।
उसके घर रोज़ जा रहा कोई ॥
बोल 'सैनी'तू कब को सुधरेगा ।
तुझको बुद्धु बता रहा कोई ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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