Sunday, 10 November 2013

बुद्धु बता रहा कोई

उसके पैग़ाम ला रहा कोई । 
मुझको उल्लू बना रहा कोई ॥ 

मांगने क़र्ज़ आ रहा कोई । 
नींद मेरी उड़ा रहा कोई ॥ 

हुस्न के ए टी एम से कैसे । 
प्यार मेरा चुरा रहा कोई ॥ 

बेसुरा एसी बारिशों में भी । 
मेघ मल्हार गा रहा कोई ॥ 

मुझको तीमार के बहाने से । 
रोज़ चूना  लगा रहा कोई ॥ 

मेरे जाने के बाद भी शायद । 
उसके घर रोज़ जा रहा कोई ॥ 

बोल 'सैनी'तू कब को सुधरेगा । 
तुझको बुद्धु  बता रहा कोई ॥ 

डा० सुरेन्द्र सैनी 

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