Sunday, 1 December 2013

अगर तू मान जाती तो

कँवारा मैं नहीं मरता अगर तू मान जाती तो । 
मुझे  हल्दी कोई मलता अगर तू मान जाती तो ॥ 

तेरे अब्बू का दिल तो है कसाई की तरह शायद । 
मैं बकरा भी कभी बनता अगर तू मान जाती तो ॥ 

मेरी दीवानगी पे लोग क्यूँ ये फब्तियाँ कसते । 
मैं तेरे साथ में चलता अगर तू मान जाती तो ॥ 

मेरे रिश्ते की बाबत बात करने पर तेरे घर में । 
मेरा चाचा नहीं पिटता अगर तू मान जाती तो ॥ 

नदीदों की तरह फिरता नहीं यूँ रोज़ गलियों में । 
हमेशा घर में ही टिकता अगर तू मान जाती तो ॥ 

बिगड़ता क्या तेरा मुझसे अगर तू मांग लेती सब । 
तुझे सब कुछ तभी मिलता अगर तू मान जाती तो ॥ 

बला -ए -इश्क़ में 'सैनी ' ने मुझको दे दिया धक्का । 
कभी मैं भी अकड़  पड़ता अगर तू मान जाती तो ॥ 

डा० सुरेन्द्र सैनी   

No comments:

Post a Comment