शादी करके ये नतीजा पा रहे ।
सात बच्चो के पिता कहला रहे ।।
अब क़सम खाई न होगा आठवा ।
चारपाई चोक में बिछवा रहे ।।
फ़ीस पी जाती है पूरी सेलरी ।
अब गुरूद्वारे में बच्चे जा रहे ।।
मुझपे ही बच्चे गए हैं सब के सब ।
सब सवालों में सिफ़र ही ला रहे ।।
चमचा ,चिमटा और बेलन को बजा ।
घर में डी जे का मज़ा हम पा रहे ।।
शादी का लड्डू तो खाया दौड़ कर ।
खा लिया तो अब मियाँ पछता रहे ।।
मान लीजे अब भी 'सैनी ' की सलाह ।
ब्याह अपना जो कराने जा रहे ।।
डाo सुरेन्द्र सैनी