Thursday, 4 April 2013

शादी का लड्डू

शादी   करके   ये  नतीजा  पा   रहे ।
सात  बच्चो  के  पिता  कहला रहे ।।

अब  क़सम  खाई  न  होगा आठवा ।
चारपाई    चोक   में  बिछवा    रहे ।।

फ़ीस    पी   जाती    है  पूरी  सेलरी ।
अब   गुरूद्वारे   में   बच्चे   जा  रहे ।।

मुझपे  ही  बच्चे  गए हैं सब के सब ।
सब  सवालों  में  सिफ़र  ही ला रहे ।।

चमचा ,चिमटा और  बेलन को बजा ।
घर  में  डी जे  का  मज़ा हम पा रहे ।।

शादी  का  लड्डू  तो  खाया दौड़ कर ।
खा  लिया तो अब मियाँ पछता रहे ।।

मान लीजे अब भी 'सैनी ' की सलाह ।
ब्याह   अपना   जो  कराने  जा  रहे ।।

डाo सुरेन्द्र सैनी  

Monday, 1 April 2013

बहानेबाज़

मज़े हूरो के ले भागे कईं लंगूर होली में ।
हमारे वास्ते खट्टे रहे अंगूर होली में ।।

हमारे सामने बेगम कलर फुल हो के जब आयी ।
कि हम तो भुन - भुना कर हो गए तंदूर होली में ।।

मेरी चाहत के क़िस्से सामने जब आ गए फिर तो ।
हुए कुछ पास अपने तो हुए कुछ दूर होली में ।।

बड़ा ही जोश था इस बार कुछ करके दिखाने का ।
मगर हत्थे न चढ़ पाई कोई भी हूर होली में ।।

कुवाँरा ज़िंदगी भर मैं रहा हूँ जिसकी चाहत में ।
लगा कर मांग में आई वही सिदूर होली में ।।

पुरानी थी बीमा री हार्ट की फिर से उभर आयी ।
किया कमबख्त ने हमको बड़ा मजबूर होली में ।।

रहा बेरंग सा 'सैनी ' बताये कैसे हाल-ए -दिल ।
बहानेबाज़ वो सब में हुआ मशहूर होली में ।।

डाo सुरेन्द्र सैनी