Thursday, 4 April 2013

शादी का लड्डू

शादी   करके   ये  नतीजा  पा   रहे ।
सात  बच्चो  के  पिता  कहला रहे ।।

अब  क़सम  खाई  न  होगा आठवा ।
चारपाई    चोक   में  बिछवा    रहे ।।

फ़ीस    पी   जाती    है  पूरी  सेलरी ।
अब   गुरूद्वारे   में   बच्चे   जा  रहे ।।

मुझपे  ही  बच्चे  गए हैं सब के सब ।
सब  सवालों  में  सिफ़र  ही ला रहे ।।

चमचा ,चिमटा और  बेलन को बजा ।
घर  में  डी जे  का  मज़ा हम पा रहे ।।

शादी  का  लड्डू  तो  खाया दौड़ कर ।
खा  लिया तो अब मियाँ पछता रहे ।।

मान लीजे अब भी 'सैनी ' की सलाह ।
ब्याह   अपना   जो  कराने  जा  रहे ।।

डाo सुरेन्द्र सैनी  

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