Monday, 1 April 2013

बहानेबाज़

मज़े हूरो के ले भागे कईं लंगूर होली में ।
हमारे वास्ते खट्टे रहे अंगूर होली में ।।

हमारे सामने बेगम कलर फुल हो के जब आयी ।
कि हम तो भुन - भुना कर हो गए तंदूर होली में ।।

मेरी चाहत के क़िस्से सामने जब आ गए फिर तो ।
हुए कुछ पास अपने तो हुए कुछ दूर होली में ।।

बड़ा ही जोश था इस बार कुछ करके दिखाने का ।
मगर हत्थे न चढ़ पाई कोई भी हूर होली में ।।

कुवाँरा ज़िंदगी भर मैं रहा हूँ जिसकी चाहत में ।
लगा कर मांग में आई वही सिदूर होली में ।।

पुरानी थी बीमा री हार्ट की फिर से उभर आयी ।
किया कमबख्त ने हमको बड़ा मजबूर होली में ।।

रहा बेरंग सा 'सैनी ' बताये कैसे हाल-ए -दिल ।
बहानेबाज़ वो सब में हुआ मशहूर होली में ।।

डाo सुरेन्द्र सैनी

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