Monday, 28 April 2014

फ़िक्र-ए -पग़ार

हम सनम के हिसार में घूमें । 
पर सनम तो बिहार में घूमें ॥ 

हम तो पैदल चलें तो मुश्किल है ।
उनके कुत्ते भी कार में घूमें ॥ 

पस्त हो कर शिकम परस्ती में । 
हम तो फ़िक्र-ए -पग़ार में घूमें ॥ 

दूध के दांत भी नहीं टूटे । 
इश्क़ के सब ख़ुमार में घूमें ॥ 

अपने सूबे की फ़िक्र है किसको । 
वो तो यू पी बिहार में घूमें ॥ 

क्या मुदावा  है एसे बच्चों का । 
मस्त हो कर बुख़ार में घूमें ॥ 

साथ दिल के हैं पस्त  घुटने भी । 
कैसे ठंडी बयार में घूमें ॥ 

अब कहाँ जाएंगे रिहा होकर । 
जो तेरे इन्हिसार में घूमें ॥ 

क़र्ज़ 'सैनी'चुकाएगा कब तक । 
लोग सब इन्तेज़ार में घूमें ॥ 

डा०सुरेन्द्र सैनी  

No comments:

Post a Comment