हम सनम के हिसार में घूमें ।
पर सनम तो बिहार में घूमें ॥
हम तो पैदल चलें तो मुश्किल है ।
उनके कुत्ते भी कार में घूमें ॥
पस्त हो कर शिकम परस्ती में ।
हम तो फ़िक्र-ए -पग़ार में घूमें ॥
दूध के दांत भी नहीं टूटे ।
इश्क़ के सब ख़ुमार में घूमें ॥
अपने सूबे की फ़िक्र है किसको ।
वो तो यू पी बिहार में घूमें ॥
क्या मुदावा है एसे बच्चों का ।
मस्त हो कर बुख़ार में घूमें ॥
साथ दिल के हैं पस्त घुटने भी ।
कैसे ठंडी बयार में घूमें ॥
अब कहाँ जाएंगे रिहा होकर ।
जो तेरे इन्हिसार में घूमें ॥
क़र्ज़ 'सैनी'चुकाएगा कब तक ।
लोग सब इन्तेज़ार में घूमें ॥
डा०सुरेन्द्र सैनी
पर सनम तो बिहार में घूमें ॥
हम तो पैदल चलें तो मुश्किल है ।
उनके कुत्ते भी कार में घूमें ॥
पस्त हो कर शिकम परस्ती में ।
हम तो फ़िक्र-ए -पग़ार में घूमें ॥
दूध के दांत भी नहीं टूटे ।
इश्क़ के सब ख़ुमार में घूमें ॥
अपने सूबे की फ़िक्र है किसको ।
वो तो यू पी बिहार में घूमें ॥
क्या मुदावा है एसे बच्चों का ।
मस्त हो कर बुख़ार में घूमें ॥
साथ दिल के हैं पस्त घुटने भी ।
कैसे ठंडी बयार में घूमें ॥
अब कहाँ जाएंगे रिहा होकर ।
जो तेरे इन्हिसार में घूमें ॥
क़र्ज़ 'सैनी'चुकाएगा कब तक ।
लोग सब इन्तेज़ार में घूमें ॥
डा०सुरेन्द्र सैनी
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