Wednesday, 11 January 2012

क्या करें अब


क्या   करें  अब  किसी  का  भरोसा  मियाँ |
लोग     देते    हमें    रोज़    गच्चा   मियाँ ||

पूछ्तें   हैं   सभी   हाल     कैसा     मियाँ ?
क्या   बतायें   उन्हें  हाल  अपना  मियाँ ?

सामने सर सभी के  क्यूँ  धुनता  मियाँ ?
अब यहाँ पर तेरी  कौन  सुनता  मियाँ ?

सब  को  धोखा  जो देते रहे अब तलक |
आज  दुन्या  में  उनका है रुतबा मियाँ ||

ज़ात  क़ातिल  की  है  देख  इतनी  बुरी |
ये   न   तेरा   मियाँ  ये  न  मेरा  मियाँ ||

रात - दिन  उनके  पहलू  में  बैठा  रहे |
हमसे अच्छा विदेशी वो पिल्ला मियाँ ||

अल्टीमेटम  दिया  आज  उसने  मुझे |
इस गली  में  न  आना  दुबारा  मियाँ ||

सर  झुकाते  हैं जो  पैर  पड़ते  अबस |
दूर  उनसे  ही   रहना   हमेशा  मियाँ ||

क्या बचाऊँ कमाई से दिन भर की मैं ?
मांगती है पुलिस  रोज़  हफ़्ता  मियाँ ||

जब  पडी  हो मुसीबत तो इंसान  की |
अक़्ल खाती है कईं  बार धोखा मियाँ ||

देखता हूँ जहाँ में मैं  जैसा  भी  कुछ |
शायरी  में वही  बात  कहता  मियाँ ||

डा०  सुरेन्द्र  सैनी 

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