क्या करें अब किसी का भरोसा मियाँ |
लोग देते हमें रोज़ गच्चा मियाँ ||
पूछ्तें हैं सभी हाल कैसा मियाँ ?
क्या बतायें उन्हें हाल अपना मियाँ ?
सामने सर सभी के क्यूँ धुनता मियाँ ?
अब यहाँ पर तेरी कौन सुनता मियाँ ?
सब को धोखा जो देते रहे अब तलक |
आज दुन्या में उनका है रुतबा मियाँ ||
ज़ात क़ातिल की है देख इतनी बुरी |
ये न तेरा मियाँ ये न मेरा मियाँ ||
रात - दिन उनके पहलू में बैठा रहे |
हमसे अच्छा विदेशी वो पिल्ला मियाँ ||
अल्टीमेटम दिया आज उसने मुझे |
इस गली में न आना दुबारा मियाँ ||
सर झुकाते हैं जो पैर पड़ते अबस |
दूर उनसे ही रहना हमेशा मियाँ ||
क्या बचाऊँ कमाई से दिन भर की मैं ?
मांगती है पुलिस रोज़ हफ़्ता मियाँ ||
जब पडी हो मुसीबत तो इंसान की |
अक़्ल खाती है कईं बार धोखा मियाँ ||
देखता हूँ जहाँ में मैं जैसा भी कुछ |
शायरी में वही बात कहता मियाँ ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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