Monday, 20 February 2012

बिल्कुल ही आज


बिल्कुल ही आज तो मियाँ ख़राब लाये हो |
ये  कौन  सी  दुकान   से  क़बाब  लाये  हो ||

साज़िश ज़रूर आज कोई  सरफिरे  ने  की |
पानी   मिली  हुई जो  ये   शराब  लाये  हो ||

मुझ को तो फूटी आँख से कभी  नहीं  देखा |
कमज़र्फ   यार  के  लिए  गुलाब  लाये  हो ||

दो  घूँट   आपसे  कभी  उधार  क्या पी ली | 
क्या अपने साथ आज वो हिसाब लाये हो ||

पहले  ही  नंगा  कर चुकी  है  आशिक़ी  तेरी |
अब  कौन  सा  मिरे  लिए अज़ाब  लाये  हो ||

मैंने  सवाल आज   तक   किया  नहीं  कोई |
क्यूँ  बेवजह  ही तल्ख़  ये  जवाब  लाये  हो ||

कहना ही था बुरा भला मुझे तो फिर ये क्यूँ |
बेकार   अपने   साथ   ये  हिजाब  लाये  हो ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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