Tuesday, 22 May 2012

उसने माल उड़ाया ख़ूब


उसने    माल    उड़ाया    ख़ूब |
उल्लू     मेरा    बनाया   ख़ूब ||

मन    को  मेरे  लुभाया  ख़ूब |
चूना    रोज़     लगाया   ख़ूब ||

मुझको  धूल  चटा  दी  आज |
उससे   हाथ   मिलाया  ख़ूब ||

राशन  सब  चट  कर  डाला |
घर  पर  यार  बुलाया   ख़ूब ||

कोई     पास    नहीं   फटका |
मैंने      शोर    मचाया  ख़ूब ||

पहली     बार      बना   नेता |
पैसा     देख     कमाया  ख़ूब ||

लूटा     ख़ूब      हसीनों     ने |
मैंने    इश्क़     लड़ाया  ख़ूब ||

क़ाबू   में    वो    नहीं  आया |
मक्खन  रोज़  लगाया  ख़ूब ||

दीवारें     सब     रंग    डाली |
उसको  पान  खिलाया  ख़ूब ||

वो    उस्ताद      बने      मेरे |
जिनको इल्म सिखाया ख़ूब ||

‘सैनी’आज ग़ज़ल  कह कर |
तूने   यार     रुलाया    ख़ूब ||

डा०  सुरेन्द्र  सैनी 

Monday, 14 May 2012

नेता जी के वादे


सभी   वादे   निभा   दूंगा   मेरी   सरकार   बनने   दे |
फ़लक   से  चाँद  ला   दूंगा  मेरी  सरकार  बनने  दे ||

तुम्हारे   ताऊ   चाचा    और   सारे   रिश्तेदारों   को |
मैं  कुर्सी  पर   बिठा  दूंगा   मेरी  सरकार  बनने  दे || 

करो  तुम  फ़िक्र  बाक़ी  यार लोगों की नहीं बिल्कुल |
उन्हें   ठेके   दिला   दूंगा   मेरी   सरकार     बनने  दे || 

ग़रीबी   का   जो  रोना  रात  दिन  रोते  नहीं  थकते |
ग़रीबों   को   मिटा   दूंगा   मेरी    सरकार  बनने  दे || 

बढेगा जितना डी. ए. खुश रहेंगे सब के सब अफ़सर |
गरानी   को   बढ़ा   दूंगा   मेरी   सरकार    बनने   दे || 

करोगे   जितने   घोटाले   नहीं   कुछ  आंच आयेगी |
कमेटी   इक   बिठा   दूंगा   मेरी  सरकार  बनने  दे || 

चलो   अब   झोपडी   से   ख़ाब  देखो आप बंगले के |
तुम्हे   बँगला   दिला   दूंगा  मेरी  सरकार बनने दे || 

बग़ावत   कर   गए   जो   पार्टी  से  देखूंगा  उनको |
चने   नाकों   चबा   दूंगा   मेरी   सरकार  बनने  दे || 

फ़टाफ़ट   काम   होंगे  उनके जो रिश्वत खिलाएगा |
नियम   एसा   बना   दूंगा  मेरी  सरकार  बनने  दे || 

मिलेगी  मुफ़्त   स्कूलों   में  दारू  रोज़  बच्चों  को |
नशा  सब  को  करा  दूंगा   मेरी  सरकार बनने  दे || 

नहीं है हद कोई मेरी मैं  कितना  नीचे  गिर  जाऊँ |
ज़माने   को   बता   दूंगा  मेरी  सरकार  बनने  दे || 

मेरे  तन  में  जो  बहता  ख़ून   है  वो ख़ून पानी है |
वतन  को  ही  मिटा  दूंगा  मेरी सरकार बनने  दे || 

न हो ‘सैनी ’तुझे कुछ इल्म तो क्या फ़र्क़ पड़ता है |
तुझे  शायर  बना  दूंगा  मेरी   सरकार   बनने   दे || 

डा० सुरेन्द्र  सैनी       


Wednesday, 9 May 2012

बेगम


फिसल कर आज सीढी से जो नीचे गिर गयी बेगम |
बुलाये  चार  पल्लेदार  तब   की  गई   खडी  बेगम ||

मना का -कर के हम हारे की ऊंची हील मत पहनो |
हज़ारों बार इस मसले पे हम से लड़   चुकी  बेगम ||

नतीजा आज उनके  सामने ये  आ  गया  आख़िर |
ज़नाने  वार्ड  में  अब   खूब  आहें  भर  रही बेगम ||

बची  कूल्हे  की  हड्डी  टूटने  से   ये  ग़नीमत  है |
ज़रा सी मोच  आयी  पैर   में  तो  रो  पडी  बेगम ||

हमारा  एक  पा  घर  में  है  इक  पा  हास्पीटल  में |
चिकन बिरयानी का लेकर मज़ा सुस्ता रही बेगम ||

इशारा  कर  चुके  हैं  डाक्टर  कईं   बार  छुट्टी  का |
बहाने रोज़  कर  – कर के न चलने पर अड़ी बेगम ||

ग़िज़ा खाते हैं हम इतनी असर कुछ  भी नहीं होता |
हुए  हम  सूख  कर  काँटा  हुई  है  थुलथुली  बेगम ||

सभी क़िस्में ख़िज़ाबों   की पडी अलमारियों  में  हैं |
हुई पैंसठ की लोगों से  कहे   इक्कीस  की  बेगम  ||

तड़ी देने का हक़ हर बात पे औरत को हासिल है |
तभी तो मायके जाने की  मुझको दे  तड़ी बेगम ||

नहीं ख़तरा  मुझे  कोई  किसी भी चोर   डाकू  से |
यही तो फ़ायदा मुझको है कि तगड़ी मेरी  बेगम ||

हमेशा  बात  तो  ‘सैनी’ करे  उनसे  मुहब्बत  से |
मगर सीधी नहीं होती कभी भी  नकचढी  बेगम ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी