उसने माल उड़ाया ख़ूब |
उल्लू मेरा बनाया ख़ूब ||
मन को मेरे लुभाया ख़ूब |
चूना रोज़ लगाया ख़ूब ||
मुझको धूल चटा दी आज |
उससे हाथ मिलाया ख़ूब ||
राशन सब चट कर डाला |
घर पर यार बुलाया ख़ूब ||
कोई पास नहीं फटका |
मैंने शोर मचाया ख़ूब ||
पहली बार बना नेता |
पैसा देख कमाया ख़ूब ||
लूटा ख़ूब हसीनों ने |
मैंने इश्क़ लड़ाया ख़ूब ||
क़ाबू में वो नहीं आया |
मक्खन रोज़ लगाया ख़ूब ||
दीवारें सब रंग डाली |
उसको पान खिलाया ख़ूब ||
वो उस्ताद बने मेरे |
जिनको इल्म सिखाया ख़ूब ||
‘सैनी’आज ग़ज़ल कह कर |
तूने यार रुलाया ख़ूब ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment