फिसल कर आज सीढी से जो नीचे गिर गयी बेगम |
बुलाये चार पल्लेदार तब की गई खडी बेगम ||
मना का -कर के हम हारे की ऊंची हील मत पहनो |
हज़ारों बार इस मसले पे हम से लड़ चुकी बेगम ||
नतीजा आज उनके सामने ये आ गया आख़िर |
ज़नाने वार्ड में अब खूब आहें भर रही बेगम ||
बची कूल्हे की हड्डी टूटने से ये ग़नीमत है |
ज़रा सी मोच आयी पैर में तो रो पडी बेगम ||
हमारा एक पा घर में है इक पा हास्पीटल में |
चिकन बिरयानी का लेकर मज़ा सुस्ता रही बेगम ||
इशारा कर चुके हैं डाक्टर कईं बार छुट्टी का |
बहाने रोज़ कर – कर के न चलने पर अड़ी बेगम ||
ग़िज़ा खाते हैं हम इतनी असर कुछ भी नहीं होता |
हुए हम सूख कर काँटा हुई है थुलथुली बेगम ||
सभी क़िस्में ख़िज़ाबों की पडी अलमारियों में हैं |
हुई पैंसठ की लोगों से कहे इक्कीस की बेगम ||
तड़ी देने का हक़ हर बात पे औरत को हासिल है |
तभी तो मायके जाने की मुझको दे तड़ी बेगम ||
नहीं ख़तरा मुझे कोई किसी भी चोर डाकू से |
यही तो फ़ायदा मुझको है कि तगड़ी मेरी बेगम ||
हमेशा बात तो ‘सैनी’ करे उनसे मुहब्बत से |
मगर सीधी नहीं होती कभी भी नकचढी बेगम ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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