Wednesday, 9 May 2012

बेगम


फिसल कर आज सीढी से जो नीचे गिर गयी बेगम |
बुलाये  चार  पल्लेदार  तब   की  गई   खडी  बेगम ||

मना का -कर के हम हारे की ऊंची हील मत पहनो |
हज़ारों बार इस मसले पे हम से लड़   चुकी  बेगम ||

नतीजा आज उनके  सामने ये  आ  गया  आख़िर |
ज़नाने  वार्ड  में  अब   खूब  आहें  भर  रही बेगम ||

बची  कूल्हे  की  हड्डी  टूटने  से   ये  ग़नीमत  है |
ज़रा सी मोच  आयी  पैर   में  तो  रो  पडी  बेगम ||

हमारा  एक  पा  घर  में  है  इक  पा  हास्पीटल  में |
चिकन बिरयानी का लेकर मज़ा सुस्ता रही बेगम ||

इशारा  कर  चुके  हैं  डाक्टर  कईं   बार  छुट्टी  का |
बहाने रोज़  कर  – कर के न चलने पर अड़ी बेगम ||

ग़िज़ा खाते हैं हम इतनी असर कुछ  भी नहीं होता |
हुए  हम  सूख  कर  काँटा  हुई  है  थुलथुली  बेगम ||

सभी क़िस्में ख़िज़ाबों   की पडी अलमारियों  में  हैं |
हुई पैंसठ की लोगों से  कहे   इक्कीस  की  बेगम  ||

तड़ी देने का हक़ हर बात पे औरत को हासिल है |
तभी तो मायके जाने की  मुझको दे  तड़ी बेगम ||

नहीं ख़तरा  मुझे  कोई  किसी भी चोर   डाकू  से |
यही तो फ़ायदा मुझको है कि तगड़ी मेरी  बेगम ||

हमेशा  बात  तो  ‘सैनी’ करे  उनसे  मुहब्बत  से |
मगर सीधी नहीं होती कभी भी  नकचढी  बेगम ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी   


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