लड़ाने इश्क़ निकला है ये सत्तर साल का बूढा |
बताओ कैसा पगला है ये सत्तर साल का बूढा ||
नहीं हैं दांत मुंह में पेट से आंतें भी ग़ायब हैं |
ज़बां से भी तो हकला है ये सत्तर साल का बूढा ||
घटाओं सी नज़र आती हैं ज़ुल्फ़ें इसके चेहरे पर |
मगर बिलकुल ही टकला है ये सत्तर साल का बूढा ||
ख्यालों में जवानी के ये अब भी खोया रहता है |
ज़रा भी तो न बदला है ये सत्तर साल का बूढा ||
जवानी ढूंढता रहता है अख़बारों के नुस्ख़ों में |
दिखावे का ही दुबला है ये सत्तर साल का बूढा ||
ज़माना कुछ कहे इसकी बला से इसके ठेंगे से |
बड़ा बेशर्म निकला है ये सत्तर साल का बूढा ||
अगरचे घर में है मौजूद इसके पांचवी बीबी |
मगर हर रू पे फिसला है ये सत्तर साल का बूढा ||
कहीं पर भी हमें रखने नहीं इसने दिया है हाथ |
सभी का बाप निकला है ये सत्तर साल का बूढा ||
जवानी छटपटाती है करे क्या ‘सैनी ’ बेचारा |
ज़ियादा हमसे मचला है ये सत्तर साल का बूढा ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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