हुस्न वालो की हड़ताल है |
आशिक़ों का बुरा हाल है ||
चल सियासत में रक्खें क़दम |
कुर्सी पैसों की टकसाल है ||
सब के मुहं पर यही एक बात |
आज सरकार बेहाल है ||
नुक़्ता चीं है हमारा सनम |
नोचता बाल की खाल है ||
ज़ुर्मपेशा बशर के लिए |
बस सियासत ही तो ढाल है ||
मेरी बेगम को फ़ुर्सत नहीं |
घर के पिछवाड़े ससुराल है ||
अस्ल ख़ातून की उम्र क्या |
घटती जाती वो हर साल है ||
सात बच्चें हैं बेगम कड़क |
शख़्स कितना वो ख़ुशहाल है ||
इश्क़ ‘सैनी ‘से अब क्या करें |
वो तो पहले ही कंगाल है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी