जिसने समझी न बारीकियाँ |
इश्क़ में उठ गयीं अर्थियाँ ||
कुछ तो थी आपकी ख़ामियाँ |
वर्ना क्यूँ मिलती नाकामियाँ ?
इस तरह लो न अंगडाइयां |
आ न जाएँ कहीं आँधियाँ ?
दर्दे दिल कैसे करते बयाँ ?
वो दिखाते रहे शोखियाँ |
उनको ले बैठी चालाकियाँ |
आ रहे याद अल्लामियाँ ||
क्या करेगीं बता घंटियाँ ?
हर तरफ़ बिल्लियाँ बिल्लियाँ ||
दाद लूटी मिली तालियाँ |
किसकी लाये ग़ज़ल ये मियाँ ?
डा० सुरेन्द्र सैनी