बिल न भर के मुस्कुराये मेहरबानी आपकी |
मुफ़्त में खाई दवा है क़द्रदानी आपकी ||
और इस दुनिया में क्या हैं मौत के बाइस भला |
एक पब्लिक होस्पीटल एक जवानी आपकी ||
सकपकाते अब मैं जिसको कह न पाऊँ शर्म से |
सर के गूमड़ ने सुना दी मेज़बानी आपकी ||
आपको मैंने मनाया फिर जहाँ को आपने |
और सब माने मगर एक माँ न मानी आपकी ||
क्या करूँ अब्बा से शिकव:और अम्मी से गिला |
मेरी क़िस्मत में लिखी है डांट खानी आपकी ||
डा० सुरेन्द्र सैनी