अचानक मिल गई उनकी सहेली आज रस्ते में |
गई सुलझा के मेरी सब पहेली आज रस्ते में ||
हुई आमद जो उनकी धूप भी शरमा गई झट से |
उसी पल ने हमारी जान ले ली आज रस्ते में ||
घुमा कर कौन से रस्ते से मुझको आज ले आये |
नज़र आई नहीं उनकी हवेली आज रस्ते में ||
मिलेगी हुस्न की दौलत कहीं से आज तो शायद |
बहुत खुजला रही मेरी हथेली आज रस्ते में ||
बड़े गर्द -ओ -गुबार -ओ -जाम से भरपूर था रस्ता |
मुसीबत पूछिए किसने न झेली आज रस्ते में ||
ख़बर पक्की हमें दी आज तो उनकी सहेली ने |
मिलेगी वो हमें बिलकुल अकेली आज रस्ते में ||
उसी का भेष भर -भर कर सफ़र में आ गए सारे |
रक़ीबों ने ग़ज़ब की चाल खेली आज रस्ते में ||
करिश्माई गुरू घंटाल की बातों में यूँ फँस कर |
बने सब उसके चेला और चेली आज रस्ते में ||
अकेले हम चले ये सोच कर होगें अकेले वो |
मिली पर साथ में चम्पा चमेली आज रस्ते में ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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