Tuesday, 6 March 2012

इस बार होली में


कहीँ पीकर फिसल जाएँ  न हम इस बार होली में |
न पीने की उठाली है  क़सम   इस  बार  होली  में ||



बड़ी मुश्किल से माने हैं सनम इस बार होली  में |
मिलेगी बस हमें दो घूँट  रम  इस  बार  होली  में ||

तमन्ना   है   पियेंगे   दोस्तों   में   ख़ूब  फ़ुर्सत  से |
ज़रा बेग़म से बस बच जाए हम इस बार होली में || 

बड़ी   ही  ख़ूबरू   शक्लें  अभी  आयीं   कालोनी  में |
हमारे   घर   धरेंगी  वो  क़दम  इस  बार  होली  में || 

बड़ी   चालाक   हैं   बेग़म   बड़ी    तैयारियां  की   हैं |
निकालेंगी  हमारे  पेंचो -ख़म   इस   बार  होली  में || 

महीने  के  ये  दिन  हैं  आख़िरी  अब  जेब ख़ाली है |
कि महंगाई से निकला यार दम इस बार होली  में || 

बड़े   मसरूफ़   हैं   शायद  न  वो  इस  बार  आयेंगे |
सतायेगा  हमें  ये  ही  तो  ग़म  इस  बार  होली  में || 

मेरे ख़ालिक़ तू लोगों पर करम इतना किये रखना |
किसी की  आँख हो  पाए  न नम  इस बार होली में ||  

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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