कहीँ पीकर फिसल जाएँ न हम इस बार होली में |
न पीने की उठाली है क़सम इस बार होली में ||
बड़ी मुश्किल से माने हैं सनम इस बार होली में |
मिलेगी बस हमें दो घूँट रम इस बार होली में ||
तमन्ना है पियेंगे दोस्तों में ख़ूब फ़ुर्सत से |
ज़रा बेग़म से बस बच जाए हम इस बार होली में ||
बड़ी ही ख़ूबरू शक्लें अभी आयीं कालोनी में |
हमारे घर धरेंगी वो क़दम इस बार होली में ||
बड़ी चालाक हैं बेग़म बड़ी तैयारियां की हैं |
निकालेंगी हमारे पेंचो -ख़म इस बार होली में ||
महीने के ये दिन हैं आख़िरी अब जेब ख़ाली है |
कि महंगाई से निकला यार दम इस बार होली में ||
बड़े मसरूफ़ हैं शायद न वो इस बार आयेंगे |
सतायेगा हमें ये ही तो ग़म इस बार होली में ||
मेरे ख़ालिक़ तू लोगों पर करम इतना किये रखना |
किसी की आँख हो पाए न नम इस बार होली में ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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