मेरे ख़िलाफ़ उनके कान भर गया रक़ीब |
एसी की तेसी मेरी आज कर गया रक़ीब ||
दो चार दिन ही वो फ़क़त नज़र नहीं पडा |
मुझको रहा मुग़ालता कि डर गया रक़ीब ||
वो कब का क़ब्र फाड़ कर निकल के आ गया |
मैं सोचता रहा कि अब तो मर गया रक़ीब ||
सारी सुलह की कोशिशें फ़ुज़ूल ही गयीं |
अपनी ही बात से सदा मुकर गया रक़ीब ||
चूना लगा गया वो आशिक़ों को बेधड़क |
जिस - जिस जगह से जब कभी गुज़र गया रक़ीब ||
तब ही खड़ी हुई हैं मुश्किलें बड़ी - बड़ी |
जब -जब ज़रा सी बात पे बिफर गया रक़ीब ||
घर से निकलिए आप करके घर की चोकसी |
निकले इधर से आप बस उधर गया रक़ीब ||
बारह बजा रही है शक्ल आपकी भी अब |
क्या इश्क का मज़ा ख़राब कर गया रक़ीब ||
बदला मिज़ाज -ए -आशिक़ी बदल गया है प्यार |
क्यों आप सोचते हैं अब सुधर गया रक़ीब ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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