Monday, 12 March 2012

रक़ीब


मेरे   ख़िलाफ़    उनके   कान   भर   गया   रक़ीब |
एसी   की   तेसी   मेरी   आज   कर  गया  रक़ीब ||

दो   चार   दिन   ही   वो   फ़क़त  नज़र  नहीं  पडा |
मुझको   रहा   मुग़ालता   कि   डर   गया   रक़ीब ||

वो  कब  का  क़ब्र   फाड़   कर  निकल  के आ गया |
मैं   सोचता   रहा   कि   अब  तो  मर  गया  रक़ीब ||

सारी     सुलह    की    कोशिशें    फ़ुज़ूल   ही   गयीं |
अपनी   ही   बात   से   सदा   मुकर   गया   रक़ीब ||

चूना   लगा   गया   वो    आशिक़ों     को    बेधड़क |
जिस - जिस जगह से जब कभी गुज़र गया रक़ीब ||

तब    ही    खड़ी    हुई    हैं     मुश्किलें   बड़ी - बड़ी |
जब -जब  ज़रा  सी  बात  पे  बिफर   गया  रक़ीब ||

घर   से   निकलिए  आप  करके  घर की चोकसी |
निकले   इधर   से  आप  बस  उधर  गया  रक़ीब ||

बारह    बजा    रही   है  शक्ल  आपकी  भी  अब |
क्या  इश्क  का  मज़ा  ख़राब  कर   गया  रक़ीब ||

बदला मिज़ाज  -ए -आशिक़ी बदल गया है प्यार |
क्यों  आप  सोचते  हैं    अब  सुधर  गया  रक़ीब ||

डा०  सुरेन्द्र  सैनी 

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