कँवारा मैं नहीं मरता अगर तू मान जाती तो ।
मुझे हल्दी कोई मलता अगर तू मान जाती तो ॥
तेरे अब्बू का दिल तो है कसाई की तरह शायद ।
मैं बकरा भी कभी बनता अगर तू मान जाती तो ॥
मेरी दीवानगी पे लोग क्यूँ ये फब्तियाँ कसते ।
मैं तेरे साथ में चलता अगर तू मान जाती तो ॥
मेरे रिश्ते की बाबत बात करने पर तेरे घर में ।
मेरा चाचा नहीं पिटता अगर तू मान जाती तो ॥
नदीदों की तरह फिरता नहीं यूँ रोज़ गलियों में ।
हमेशा घर में ही टिकता अगर तू मान जाती तो ॥
बिगड़ता क्या तेरा मुझसे अगर तू मांग लेती सब ।
तुझे सब कुछ तभी मिलता अगर तू मान जाती तो ॥
बला -ए -इश्क़ में 'सैनी ' ने मुझको दे दिया धक्का ।
कभी मैं भी अकड़ पड़ता अगर तू मान जाती तो ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
मुझे हल्दी कोई मलता अगर तू मान जाती तो ॥
तेरे अब्बू का दिल तो है कसाई की तरह शायद ।
मैं बकरा भी कभी बनता अगर तू मान जाती तो ॥
मेरी दीवानगी पे लोग क्यूँ ये फब्तियाँ कसते ।
मैं तेरे साथ में चलता अगर तू मान जाती तो ॥
मेरे रिश्ते की बाबत बात करने पर तेरे घर में ।
मेरा चाचा नहीं पिटता अगर तू मान जाती तो ॥
नदीदों की तरह फिरता नहीं यूँ रोज़ गलियों में ।
हमेशा घर में ही टिकता अगर तू मान जाती तो ॥
बिगड़ता क्या तेरा मुझसे अगर तू मांग लेती सब ।
तुझे सब कुछ तभी मिलता अगर तू मान जाती तो ॥
बला -ए -इश्क़ में 'सैनी ' ने मुझको दे दिया धक्का ।
कभी मैं भी अकड़ पड़ता अगर तू मान जाती तो ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी